भारत में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि देश में कुल 1,18,190 एमबीबीएस सीटें और 74,306 पीजी मेडिकल सीटें उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 13,86,150 पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टर हैं। वहीं, आयुष मंत्रालय के अनुसार 7,51,768 पंजीकृत आयुष चिकित्सक देश में कार्यरत हैं। इनमें से लगभग 80% सक्रिय विशेषज्ञ हैं, जिससे डॉक्टर-से-जनसंख्या अनुपात 1:811 तक पहुंच गया है।
केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 157 नए मेडिकल कॉलेजों को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 131 कॉलेज पहले से काम कर रहे हैं। राज्य और केंद्र सरकार के मेडिकल संस्थानों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर एमबीबीएस और पीजी सीटों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 75 सुपर-स्पेशलिटी परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 71 पहले ही पूरी हो चुकी हैं। देश भर में कुल 22 एम्स स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 19 में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो चुके हैं।
एमबीबीएस छात्रों को गांवों को गोद लेकर परिवारों से सीधे जुड़ने और स्वास्थ्य समस्याओं को समझने का अवसर मिलता है।पीजी मेडिकल छात्रों को व्यावहारिक अनुभव के लिए जिला अस्पतालों में तैनात किया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों को हार्ड एरिया अलाउंस, आवास सुविधा और विशेष प्रोत्साहन दिए जाते हैं।राज्य सरकारें आप बोली लगाएं, हम भुगतान करें जैसी योजनाओं के तहत विशेषज्ञों को आकर्षक पैकेज की पेशकश कर सकती हैं।
दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देने वाले डॉक्टरों को पीजी प्रवेश में प्राथमिकता और बेहतर रहने की सुविधा दी जाती है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत डॉक्टरों को निरंतर प्रशिक्षण और बहु-कौशल प्रदान किया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अगले 4 वर्षों में भारत में 60,000 एमबीबीएस सीटें बढ़ेंगी –
Health ministry says that 60,000 MBBS seats will increase in india in the next 4 years